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दिल-ओ-गुलज़ार बड़े अदब सलिकें हैं दिलों गुलज़ार मेरे

दिल-ओ-गुलज़ार
बड़े अदब सलिकें हैं दिलों गुलज़ार मेरे यार का
हक़ीक़त बयां कर देता है पूछकर बातें ख़्वाब का
कहता तो नहीं कुछ भी हलातें मेरे यार देखकर
बिन मांगे दे देता है अपना हर क़तरा शबाब का
समझता भी है वो ख़ूब मुझे मेरे हर ज़ख़्मों से वाकिफ़ है
साया हो वो जैसे कोई हर दर पर साथ मेरे रहता है
बिखरने नहीं देता वो मुझे कभी सुनते ही समेट लेता है
देकर ख़ुशी अपनी मेरी आंखों से आंसू चुरा लेता है
औरों से बहुत ज्यादा अजीज है इस जहां में मुझे वो 
क्योंकि गैरों की तरह वो रास्तों पर साथ नहीं छोड़ता
कोई सवाल किये बिना साथ मेरे जहनुम तक आने को तैयार है
लोग रिश्तें तोड़ दिया करते हैं काम निकल जाने के बाद
बनकर फूल महकना वो सिखाता है मुझे
बिन पिये ज़रा बहकना वो सिखाता है मुझे
ख़ुश रहकर सबकी बातें सुन लेता हूं खामोशी से
परिंदों के मानिंद चहकना वो सिखाता है मुझे
चाहतों के राहों में मुझे इस क़दर रंगने लगें है
गुलों की तरह बिखरना सीखा गया वो मुझे
यूं तो उदासी का अबर हो जैनेश कुमार
पर बिजली की तरह चमकना सीखा गया वो मुझे #dil 
#dosti 
#friendship 
#inspiration 
#hindi 
#poetry 
#shayari 
#freshthoughts
दिल-ओ-गुलज़ार
बड़े अदब सलिकें हैं दिलों गुलज़ार मेरे यार का
हक़ीक़त बयां कर देता है पूछकर बातें ख़्वाब का
कहता तो नहीं कुछ भी हलातें मेरे यार देखकर
बिन मांगे दे देता है अपना हर क़तरा शबाब का
समझता भी है वो ख़ूब मुझे मेरे हर ज़ख़्मों से वाकिफ़ है
साया हो वो जैसे कोई हर दर पर साथ मेरे रहता है
बिखरने नहीं देता वो मुझे कभी सुनते ही समेट लेता है
देकर ख़ुशी अपनी मेरी आंखों से आंसू चुरा लेता है
औरों से बहुत ज्यादा अजीज है इस जहां में मुझे वो 
क्योंकि गैरों की तरह वो रास्तों पर साथ नहीं छोड़ता
कोई सवाल किये बिना साथ मेरे जहनुम तक आने को तैयार है
लोग रिश्तें तोड़ दिया करते हैं काम निकल जाने के बाद
बनकर फूल महकना वो सिखाता है मुझे
बिन पिये ज़रा बहकना वो सिखाता है मुझे
ख़ुश रहकर सबकी बातें सुन लेता हूं खामोशी से
परिंदों के मानिंद चहकना वो सिखाता है मुझे
चाहतों के राहों में मुझे इस क़दर रंगने लगें है
गुलों की तरह बिखरना सीखा गया वो मुझे
यूं तो उदासी का अबर हो जैनेश कुमार
पर बिजली की तरह चमकना सीखा गया वो मुझे #dil 
#dosti 
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#inspiration 
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