#OpenPoetry बेटे ने रुलायी है वृद्धा आश्रम को भगायी है वृद्धा। मन में सुकून है फिर भी दिल में खून है। दो दिन के रिश्ते के खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा। ख़ुशी में साथी को करके दिल से रोया वो खुद भी है क्योंकि वो बुजदिल भी है। सोच दिल को सता रही है माँ ये वक़्त कैसे बिता रही है मन को खुश रखने की खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा। आश्रम को भगायी है वृद्धा।। रो रहा है दिल अब उसका जा रहा है वृद्धा से मिलने उस सख्स की मर्ज़ी के खातिर बेटे ने रुलायी है वृद्धा आश्रम को भगायी है वृद्धा। अब तू रो और रो दिल मे ओर खो मन को करके खुश दिल से तू ओर रो। #OpenPoetry Palvi Chalana Chief of Staff