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अंधेरो में रहा पर नींद न कभी नसीब हुई ता उम्र आंखो

अंधेरो में रहा पर नींद न कभी नसीब हुई
ता उम्र आंखों में जो उनके ख्वाब रहे

गुमराह किया खुद को बहला के, कि ज़िन्दगी रंगीन है
जबतक मयकदे में आप और प्याली में आपके शराब रहे ।।
 "मयकदे में आप"
.
.
मौसम की मनमानी है
आंखों आंखों पानी है
सब पर हँसते रहते है
फूलों की नादानी है ।।
-  डॉ. राहत इन्दोरी
अंधेरो में रहा पर नींद न कभी नसीब हुई
ता उम्र आंखों में जो उनके ख्वाब रहे

गुमराह किया खुद को बहला के, कि ज़िन्दगी रंगीन है
जबतक मयकदे में आप और प्याली में आपके शराब रहे ।।
 "मयकदे में आप"
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मौसम की मनमानी है
आंखों आंखों पानी है
सब पर हँसते रहते है
फूलों की नादानी है ।।
-  डॉ. राहत इन्दोरी
amanmishra3017

Aman Mishra

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