Nojoto: Largest Storytelling Platform

देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं, मंद-मंद बहती आँसुओं

देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं,
मंद-मंद बहती आँसुओं की धार।
जब लूटती आबरू मासूमों की,
तब उसके सीने में होती प्रहार।
कोई बचालो या आओ गिरधर,
भू पर बढ़ता अत्याचारों का भार।
कोई राहें और रात ऐसी तो होगी,
जिस पथ न डगमगाये बेटी के पांव।।

©✍️ लिकेश ठाकुर देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं, मंद-मंद बहती आँसुओं की धार।
जब लूटती आबरू मासूमों की,
तब उसके सीने में होती प्रहार।
कोई बचालो या आओ गिरधर,
भू पर बढ़ता अत्याचारों का भार।
कोई राहें और रात ऐसी तो होगी,
जिस पथ न डगमगाये बेटी के पांव।
✍️लिकेश ठाकुर
देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं,
मंद-मंद बहती आँसुओं की धार।
जब लूटती आबरू मासूमों की,
तब उसके सीने में होती प्रहार।
कोई बचालो या आओ गिरधर,
भू पर बढ़ता अत्याचारों का भार।
कोई राहें और रात ऐसी तो होगी,
जिस पथ न डगमगाये बेटी के पांव।।

©✍️ लिकेश ठाकुर देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं, मंद-मंद बहती आँसुओं की धार।
जब लूटती आबरू मासूमों की,
तब उसके सीने में होती प्रहार।
कोई बचालो या आओ गिरधर,
भू पर बढ़ता अत्याचारों का भार।
कोई राहें और रात ऐसी तो होगी,
जिस पथ न डगमगाये बेटी के पांव।
✍️लिकेश ठाकुर