रहा ग़म से सदा रिश्ता ख़ुशी को जानता है क्या, रुदाली ज़िंदगी जीकर हंसी पहचानता है क्या। रहा जो बेख़बर सबसे उसी से पूछते हो तुम, उमर काटी है तन्हा वो ख़ुदी पहचानता है क्या। ©Sanjay Sharma Saras मुक्तक रहा ग़म से सदा रिश्ता ख़ुशी को जानता है क्या, रुदाली ज़िंदगी जीकर हंसी पहचानता है क्या। रहा जो बेख़बर सबसे उसी से पूछते हो तुम, उमर काटी है तन्हा वो ख़ुदी पहचानता है क्या। ©️®️ संजय शर्मा 'सरस'