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मुकमल नही चाहिए कुछ भी तुमसे ..ऐ ज़िंदगी... बस तुम

मुकमल नही चाहिए कुछ भी तुमसे ..ऐ ज़िंदगी... बस तुमसे थोड़ा सा सकून मिल जाए! 
कुछ कर दे कर्म ऐसा के इस मिट्टी के पुतले को भी उसकी भटकी हुई रूह मिल जाए! 
सुना है बहुतों को खैरात बाँटी है तुमने... थोड़ा सा हमे भी अपने हिस्से का लहू मिल जाए! 
मुसाफिर हूँ भटका हुआ जिसे नही मिली मंज़िल अब तक... फिरदोस ना सही तो कम से कम एक घर तो जरूर मिल जाए! Ek ghar to jaror mil jaaye #ae_zindgi
मुकमल नही चाहिए कुछ भी तुमसे ..ऐ ज़िंदगी... बस तुमसे थोड़ा सा सकून मिल जाए! 
कुछ कर दे कर्म ऐसा के इस मिट्टी के पुतले को भी उसकी भटकी हुई रूह मिल जाए! 
सुना है बहुतों को खैरात बाँटी है तुमने... थोड़ा सा हमे भी अपने हिस्से का लहू मिल जाए! 
मुसाफिर हूँ भटका हुआ जिसे नही मिली मंज़िल अब तक... फिरदोस ना सही तो कम से कम एक घर तो जरूर मिल जाए! Ek ghar to jaror mil jaaye #ae_zindgi