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एक रात अपनी कहानी लिख रहा था ; कि फिर से कोई याद आ

एक रात अपनी कहानी लिख रहा था ; कि फिर से कोई याद आगया ...
कलम चलनी थी मुझ पर मैरे हाथो से कम्बख़्त मन चंचल था उस पर चला गया ....
बैठा था बहुत कम रोशनी में कि उसको देख ना पाऊं ....... 
मन था ये आँखे बंद करते ही  फिर से उसकों  दिखा गया .....
अब तो कलम से  भी मुझे शिकायत सी  होने लगी है आज कल मैंरी बात सुनती नहीं है ये कहती है अब वो मुझको बहुत भाने लगा है , तेरे से ज्यादा याद वो मुझे आने लगा है .....
कलम कहती है ,कि जब तू मुझे दिल से चलाता है पता नहीं तुझसे ज्यादा मुझे वही क्यूँ याद आता है .......  
अब तो ऐसा लगता है ......  कि कलम ने भी मैंरा साथ छोड़ दिया   जब कभी अपने पर लिखता हूं  उसका नाम मैंरी लेखनी मैं जोड़ दिया ......
Pk.पवनसिंहकनौजिया। किसी के इंतज़ार में मैंरा रूका सा सफ़र पर ये सफ़र बहुत हसीन है ..... मैं Pk.पवनसिंहकनौजिया।
एक रात अपनी कहानी लिख रहा था ; कि फिर से कोई याद आगया ...
कलम चलनी थी मुझ पर मैरे हाथो से कम्बख़्त मन चंचल था उस पर चला गया ....
बैठा था बहुत कम रोशनी में कि उसको देख ना पाऊं ....... 
मन था ये आँखे बंद करते ही  फिर से उसकों  दिखा गया .....
अब तो कलम से  भी मुझे शिकायत सी  होने लगी है आज कल मैंरी बात सुनती नहीं है ये कहती है अब वो मुझको बहुत भाने लगा है , तेरे से ज्यादा याद वो मुझे आने लगा है .....
कलम कहती है ,कि जब तू मुझे दिल से चलाता है पता नहीं तुझसे ज्यादा मुझे वही क्यूँ याद आता है .......  
अब तो ऐसा लगता है ......  कि कलम ने भी मैंरा साथ छोड़ दिया   जब कभी अपने पर लिखता हूं  उसका नाम मैंरी लेखनी मैं जोड़ दिया ......
Pk.पवनसिंहकनौजिया। किसी के इंतज़ार में मैंरा रूका सा सफ़र पर ये सफ़र बहुत हसीन है ..... मैं Pk.पवनसिंहकनौजिया।
pawankumar9252

Pawan Kumar

New Creator

किसी के इंतज़ार में मैंरा रूका सा सफ़र पर ये सफ़र बहुत हसीन है ..... मैं Pk.पवनसिंहकनौजिया।