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खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पह

खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पहले , जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना । क्यों भाई आज ही ऐतिहासिक दिन था 70 सालों बाद चीतों की वापसी, पीएम साहब ने स्वयं छोड़ा था  ? पालपुर रियासत के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण में बब्बर शेरों के दूसरे सुरक्षित घर के तौर पर बने कुनो पालपुर अभयारण के लिए दी थी। लेकिन अब कूनो पालपुर अभयारण्य में शेरों की जगह चीते बचाने का काम किया जा रहा है। कूनो को गुजरात के गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। वहीं कुँवर गोपाल देव ने आरोप लगाया कि सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 19 सितम्बर को ग्वालियर हाई कोर्ट में सुनवाई है।
फोटो संकलन

©कथा या व्यथा!
  खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पहले , जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना । क्यों भाई आज ही ऐतिहासिक दिन था 70 सालों बाद चीतों की वापसी, पीएम साहब ने स्वयं छोड़ा था  ? पालपुर रियासत के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण में बब्बर शेरों के दूसरे सुरक्षित घर के तौर पर बने कुनो पालपुर अभयारण के लिए दी थी। लेकिन अब कूनो पालपुर अभयारण्य में शेरों की जगह चीते बचाने का काम किया जा रहा है। कूनो को गुजरात के गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। वहीं कुँवर गोपाल देव ने आरोप लगाया कि सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 19 सितम्बर को ग्वालियर हाई कोर्ट में सुनवाई है।
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खोटा बाबा, मोटा भाई, साहब, चीतों के भारत आने से पहले , जमीन वापसी के लिए कोर्ट पहुंचा पालपुर राजघराना । क्यों भाई आज ही ऐतिहासिक दिन था 70 सालों बाद चीतों की वापसी, पीएम साहब ने स्वयं छोड़ा था ? पालपुर रियासत के वंशज श्रीगोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन श्योपुर के कुनो पालपुर अभयारण में बब्बर शेरों के दूसरे सुरक्षित घर के तौर पर बने कुनो पालपुर अभयारण के लिए दी थी। लेकिन अब कूनो पालपुर अभयारण्य में शेरों की जगह चीते बचाने का काम किया जा रहा है। कूनो को गुजरात के गिर शेरों को लाने के लिए अभयारण्य घोषित किया गया तो उन्हें अपना किला और 260 बीघा भूमि खाली करनी पड़ी। वहीं कुँवर गोपाल देव ने आरोप लगाया कि सरकार ने कुनो पालपुर सेंचुरी का नाम बदलकर कुनो नेशनल पार्क भी कर दिया ऐसे में अब पालपुर राजघराने के वंशजों ने अपनी पुश्तैनी संपत्ति वापस पाने के लिए राज्य सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 19 सितम्बर को ग्वालियर हाई कोर्ट में सुनवाई है। फोटो संकलन #समाज

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