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White मेरा हर फैसला क्यों मंज़रे आम तक नहीं आता। अफ़

White मेरा हर फैसला क्यों मंज़रे आम तक नहीं आता।
अफ़सोस किरदार भी किसी मक़ाम तक नहीं आता।

मैं कितना ही झुक कर सलाम कर लूँ मेरे अपनों को 
 मेरी कोई भी कुर्बानी किसी इनाम तक नहीं आता।

दिल से दिल तक ज़ब भी निस्बत होता किसी की।
सच्ची मोहब्बत भी कभी ज़बान तक नहीं आता।

 कई साल गुज़र ही जाती किसी को मुस्तक़िल होने में।
यूँ ही कोई तहज़ीब अपने निज़ाम तक नहीं आता।

हमने जिन्हें पढ़ना सिखाया हर एक लफ्ज़ को तन्हा 
उस के ज़ुबान मे मेरा कभी नाम तक नहीं आता।

©तन्हा शायर #sad_quotes  sad shayari shayari status hindi shayari shayari in hindi shayari sad
White मेरा हर फैसला क्यों मंज़रे आम तक नहीं आता।
अफ़सोस किरदार भी किसी मक़ाम तक नहीं आता।

मैं कितना ही झुक कर सलाम कर लूँ मेरे अपनों को 
 मेरी कोई भी कुर्बानी किसी इनाम तक नहीं आता।

दिल से दिल तक ज़ब भी निस्बत होता किसी की।
सच्ची मोहब्बत भी कभी ज़बान तक नहीं आता।

 कई साल गुज़र ही जाती किसी को मुस्तक़िल होने में।
यूँ ही कोई तहज़ीब अपने निज़ाम तक नहीं आता।

हमने जिन्हें पढ़ना सिखाया हर एक लफ्ज़ को तन्हा 
उस के ज़ुबान मे मेरा कभी नाम तक नहीं आता।

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