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प्रेंम प्रेंम तो प्रेंम है इसका भी अजीब सिलसिला

प्रेंम 

प्रेंम तो प्रेंम है इसका भी अजीब सिलसिला है 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
अक्सर नफरतों से हो जाती हैं उनसे ज्यादा मुलाकातें 

मिलता हूँ जब प्रेमियों से तो चुटकियों से ही मन भर जाता है 
और दुशमनों से कह देता हूँ एक झोला आलोचना ही ले आते 

कोई बात नहीं जो है वही तो दोगे 
मुझे तो वो भी स्वीकार है प्रेंम से चाहो तो ज़हर ही पिला जाते 

इसीलिये कहता हूँ लोगों से बेवजह ही मिला करिये 
मीठे बोलों की दवा से कड़वे लोगों के घावों को सिला करिये 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

©शिवम मिश्र 
विधि विद्यार्थी 
के के सी ,लखनऊ
प्रेंम 

प्रेंम तो प्रेंम है इसका भी अजीब सिलसिला है 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
अक्सर नफरतों से हो जाती हैं उनसे ज्यादा मुलाकातें 

मिलता हूँ जब प्रेमियों से तो चुटकियों से ही मन भर जाता है 
और दुशमनों से कह देता हूँ एक झोला आलोचना ही ले आते 

कोई बात नहीं जो है वही तो दोगे 
मुझे तो वो भी स्वीकार है प्रेंम से चाहो तो ज़हर ही पिला जाते 

इसीलिये कहता हूँ लोगों से बेवजह ही मिला करिये 
मीठे बोलों की दवा से कड़वे लोगों के घावों को सिला करिये 

ज़ितना लोग प्रेंम से मिल नहीं पाते 
ये तो सदैव नफरतों मे पला है 

©शिवम मिश्र 
विधि विद्यार्थी 
के के सी ,लखनऊ