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मैं चुप हूँ, तू चुप है, बस धड़कने बोल रही है, खाम

मैं चुप हूँ, तू चुप है,
बस धड़कने बोल रही है, 
खामोशीयों की जुबां ।
नशा है नशा है
ये तेरी नज़दीकियों का है नशा।

ये कैसा है मंज़र, 
ये कैसी हवा है,
घुल रही है बस तेरी ही खुशबू ।
नशा है नशा है 
ये तेरी साँसों का है नशा ।

चाहत न कोई,
न कोई आरज़ू ही है बाकी,
तेरी जान में बस रही मेरी जान है ।
नशा है नशा है 
ये तेरे मिलन का नशा है ।
 Nasha hai nasha
मैं चुप हूँ, तू चुप है,
बस धड़कने बोल रही है, 
खामोशीयों की जुबां ।
नशा है नशा है
ये तेरी नज़दीकियों का है नशा।

ये कैसा है मंज़र, 
ये कैसी हवा है,
घुल रही है बस तेरी ही खुशबू ।
नशा है नशा है 
ये तेरी साँसों का है नशा ।

चाहत न कोई,
न कोई आरज़ू ही है बाकी,
तेरी जान में बस रही मेरी जान है ।
नशा है नशा है 
ये तेरे मिलन का नशा है ।
 Nasha hai nasha