मैं चुप हूँ, तू चुप है, बस धड़कने बोल रही है, खामोशीयों की जुबां । नशा है नशा है ये तेरी नज़दीकियों का है नशा। ये कैसा है मंज़र, ये कैसी हवा है, घुल रही है बस तेरी ही खुशबू । नशा है नशा है ये तेरी साँसों का है नशा । चाहत न कोई, न कोई आरज़ू ही है बाकी, तेरी जान में बस रही मेरी जान है । नशा है नशा है ये तेरे मिलन का नशा है । Nasha hai nasha