एक सांझ मैं उसके पास बैठी थी बड़ी गुमसुम सी थी वो मैनें पूछा.... मोहतरमा आज बड़ी चुप हो उसने कोई जवाब नहीं दिया..... खिड़की की तरफ मुंह किए हुए सूरज की तरफ देख रही थी बड़ी गुमसुम सी थी वो न जाने किस सोच में खुद को डुबाए हुए थी एक अलग सी बात थी उस दिन उसमें वरना वो कभी न मुंह छुपाए हुए थी क्या पता किसका इंतज़ार था उसको की.... खुद का ही चहरा छुपाए हुए थी मेरे लाख पूछने पर भी उसने कुछ ना जताया खड़ी होकर बिना कुछ बोले कमरे में चली गई वो!! ©piki #No_caption #njotopoetry #N_writes #no1 #nojofamily