बहते इस झरने मे कही ठहराव सा आ गया है लहराते इन पत्तों मे कही स्थिरपन सा आ गया है पवनो ने अपनी दिशा क्या बदली समुद्र ने रौद्र रूप ही धारण कर लिया सुनी इन गलियों मे सुने इन गलियारों मे हर जगह वो भटक रहा कैद मे करके सबको अपनी विशालता वो बतला रहा जग प्रलयंकर इस दशा मे धैर्य आसरा है सबका बन रहा रक्षकों की मर्यादा के आगे विकराल रूप उसका कही सिमट रहा ©kirtesh #doctors #thank you #nojoto