पानीदार आंखें शहर की भीड़ भरी सड़क की तरफ खुलती एक खिड़की--- आती जाती सैकड़ों निगाहें, अन्जान अपेक्षा में गड़ जाती हैं, खिड़की के सीने में कुआँ तलाशती ------- कुछ न पाकर , बढ़ जाती दूसरी, किसी और खुली खिड़की की तरफ---- दूऽऽर वहाँ--- सूखते केश, हिलते साए, दाल बीनते हाथ किताब की आड़ में कोई चेहरा---- मुड़ जाती, सब आंखें उधर---- डटकर घूरती आंखें हटकर ताकती आंखें डर डर झांकती आंखें--- शहर भर की, पानीदार आंखें!!! पानीदार आंखें #घूरना #ताकाझांकी #ताकझांक #lust