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आओ कभी शहर हमारे - देखी होंगी तुमने कईयो मकाने,

आओ कभी शहर हमारे -

देखी होंगी तुमने कईयो मकाने, 
आओ  तुम्हें घर दिखाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे । 
तुम्हे बनारस घुमाते हैं।। 

छोड़ो ये कॉफी शॉप के चक्कर जनाब, 
आओ तुम्हें कुलहड वाली चाय पिलाते हैं। 

के आओ कभी शहर हमारे । 
तुम्हे बनारस घुमाते हैं।। 

खिलखिलाते हुए चेहरे हैं, दिलों को सुकून जहाँ। 
मिलते सुरों से ताल हैं, कामयाबी का जूनून जहाँ।। 

वॉटर पार्क तो रोज ही जाते हो-
आओ कभी गंगा मैया से मिलाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे । 
तुमको बनारस घुमाते हैं।। 

कब तलक साँसों से जुड़े झूठ में रहोगे, 
मोह से काफी दूर मणिकर्णिका दिखाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे, 
तुम्हें बनारस घुमाते हैं। 

इस मतलबी दुनियाँ के परे-
रिश्तों का मोल समझाते हैं। 

के आओ कभी शहर हमारे, 
तुम्हें बनारस घुमाते हैं।

©Geet #Art  Ibrat 
#Banaras 
#Sheher
आओ कभी शहर हमारे -

देखी होंगी तुमने कईयो मकाने, 
आओ  तुम्हें घर दिखाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे । 
तुम्हे बनारस घुमाते हैं।। 

छोड़ो ये कॉफी शॉप के चक्कर जनाब, 
आओ तुम्हें कुलहड वाली चाय पिलाते हैं। 

के आओ कभी शहर हमारे । 
तुम्हे बनारस घुमाते हैं।। 

खिलखिलाते हुए चेहरे हैं, दिलों को सुकून जहाँ। 
मिलते सुरों से ताल हैं, कामयाबी का जूनून जहाँ।। 

वॉटर पार्क तो रोज ही जाते हो-
आओ कभी गंगा मैया से मिलाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे । 
तुमको बनारस घुमाते हैं।। 

कब तलक साँसों से जुड़े झूठ में रहोगे, 
मोह से काफी दूर मणिकर्णिका दिखाते हैं। 

आओ कभी शहर हमारे, 
तुम्हें बनारस घुमाते हैं। 

इस मतलबी दुनियाँ के परे-
रिश्तों का मोल समझाते हैं। 

के आओ कभी शहर हमारे, 
तुम्हें बनारस घुमाते हैं।

©Geet #Art  Ibrat 
#Banaras 
#Sheher
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