हम काँटों की सोहबत में ,थे सुर्ख़रू बहुत । फूलों की आरज़ू ने , शर्मिन्दा कर दिया ।। ज़िन्दा किया जब मैने , ख़ुद के ज़मीर को । "सानी"इसी ने मुझको,फिर ज़िन्दा कर दिया ।। (saani) फूल और काँटे।