मैं जिन्दगी के फल्सफे को पढ़ने के लिये जो पन्ने खोला फिर मुझे मेरी जिम्मेदारियों ने मुझे आ जकड़ा अभी कुछ साल पहले की ही तो बात है जिन्दगी और मौत का सामना देखा है भूल कर वो दिन आगे बढ़ने लगा ही था के फिर से उस चौराहे पर पाया खुद को जो होगा जो होना है होने दो मेरे अख्तियार में कुछ नही है मै तो बस अद्ना सा हूँ तू ही सच है तेरा ही सहारा है ये खुदा मै जिन्दगी के फल्सफे को पढ़ने के लिये जो पन्ने खोला ©Firoz Ahmad #lifeexperiance #reading @ अल्फाज़ फ़िरोज के ☺