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तुम चाहों तो जा सकते हो। अपना कहकर उन्हें बुला सकत

तुम चाहों तो जा सकते हो।
अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो।
गर मेरे रहने से  गुलशन सुखा है।
तुम यहां और फूल लगा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते है।

तेरी बातें अब से ना होंगी।
और मुलाकाते अब से ना होंगी।
पतझड़ के मौसम से रह लेंगे हम।
ये बरसातें अब से ना होंगी।
तेरी बातें अब से ना होंगी।

तुम जो चाहो पा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते हो।
अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो।
गर मेरे रहने से  गुलशन सुखा है।
तुम यहां और फूल लगा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते है। #Relationship Pooja Udeshi कवि संतोष बड़कुर ABRAR Shilpa yadav Miss nf
तुम चाहों तो जा सकते हो।
अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो।
गर मेरे रहने से  गुलशन सुखा है।
तुम यहां और फूल लगा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते है।

तेरी बातें अब से ना होंगी।
और मुलाकाते अब से ना होंगी।
पतझड़ के मौसम से रह लेंगे हम।
ये बरसातें अब से ना होंगी।
तेरी बातें अब से ना होंगी।

तुम जो चाहो पा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते हो।
अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो।
गर मेरे रहने से  गुलशन सुखा है।
तुम यहां और फूल लगा सकते हो।
तुम चाहों तो जा सकते है। #Relationship Pooja Udeshi कवि संतोष बड़कुर ABRAR Shilpa yadav Miss nf