तुम चाहों तो जा सकते हो। अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो। गर मेरे रहने से गुलशन सुखा है। तुम यहां और फूल लगा सकते हो। तुम चाहों तो जा सकते है। तेरी बातें अब से ना होंगी। और मुलाकाते अब से ना होंगी। पतझड़ के मौसम से रह लेंगे हम। ये बरसातें अब से ना होंगी। तेरी बातें अब से ना होंगी। तुम जो चाहो पा सकते हो। तुम चाहों तो जा सकते हो। अपना कहकर उन्हें बुला सकते हो। गर मेरे रहने से गुलशन सुखा है। तुम यहां और फूल लगा सकते हो। तुम चाहों तो जा सकते है। #Relationship कवि संतोष बड़कुर