✍🏻 - कवि आदित्य बजरंगी वादियों का ये झरना अब सिमटने लगा है, पापियों में डर था जो अब मिटने लगा है,, बाप के सामने बेटी अब अर्धनग्न रहने लगी, लड़कियों का दुप्पटा भी अब खूंटियों पर टंगने लगा है,, पश्चात सभ्यता के आगे बच्चे अब नीलाम होने लगे, पहले बन्द कमरों होती थी वेश्यावर्ती अब खुले में ये धंदा होने लगा है,, आशिकी करना और छुप छुपकर मिलना अब कोमन बात हो गयी, पहले मजबूरी में होता था देह व्यापार यहाँ, अब तो फेसन के नाम पर जिश्म बिकने लगा है,, आदित्य अब ना यहाँ रहे आजाद बोस भगतसिंह, पूरा देश अहिंसा पर चलकर गांधी जैसे नपुंसक बनने लगा है,, कवि आदित्य बजरंगी डिबाई बुलंदशहर उत्तर प्रदेश 9536198627 #बदल_गया_इंसान