विधाता का खेल प्राणी श्रेष्ठ ! तेरे हाथों में कुछ भी नहीं। क्यूंकि जो कुछ हुआ है, हो रहा है और जो कुछ होगा वो सब उस विधाता का रचाया हुआ एक खेल है । इसलिए उसके इशारों का अनुसरण करते हुए निरन्तर जीवन पथ पर चलता रह । ©® *_________जीत चम्बयाल* *(मौलिक,स्वरचित, अप्रकाशित)* विधाता का खेल ।