बचपन समेटकर जवानी बिखेर रहा हूँ.. देख वक्त का पासा रवानी बिखेर रहा हूँ.. कुछ रिश्तों की खातिर खुशियाँ बिखेर रहा हूँ.. कोई बताएँ खुद को समेटूँ कैसे कब से यूँ हीं बिखेर रह हूँ..!! #समेटूँ #रवानी #खुद_को #बचपन #रिश्ते #yqhindi #yqrestzone #yqthoughts