निगाहों को बोलने दो। राज़ दिल सारे खोलने दो। आँखों को गुस्ताखियाँ करने दो। अपने मोहब्बत का इज़हार करने दो। जो लफ़्ज़ लब ना बयां करे। वो निगाहें सारी बातें बोल जाया करें। इन निगाहों के गिरफ़्त में ज़माना है। सच हमने दिल का इनसे ही जाना है। ♥️ Challenge-987 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।