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नित्य सुबह पूरब में आकर सूरज एक उगाता कौन। आसमान म

नित्य सुबह पूरब में आकर सूरज एक उगाता कौन।
आसमान में इतना सारा लाल रंग बिखराता कौन।
किरणों से छू-छू फ़ूलों की,पंखुड़ियों को 
देता  खोल,
पंखुड़ियों की मुस्कानों से भौंरों को ललचाता कौन।
उगता सूरज ढलना ही है, इसकी याद दिलाता कौन..! #NH✍️
#poem
नित्य सुबह पूरब में आकर सूरज एक उगाता कौन।
आसमान में इतना सारा लाल रंग बिखराता कौन।
किरणों से छू-छू फ़ूलों की,पंखुड़ियों को 
देता  खोल,
पंखुड़ियों की मुस्कानों से भौंरों को ललचाता कौन।
उगता सूरज ढलना ही है, इसकी याद दिलाता कौन..! #NH✍️
#poem
nh9003886098343

Nagendranh9

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NH✍️ poem