नित्य सुबह पूरब में आकर सूरज एक उगाता कौन। आसमान में इतना सारा लाल रंग बिखराता कौन। किरणों से छू-छू फ़ूलों की,पंखुड़ियों को देता खोल, पंखुड़ियों की मुस्कानों से भौंरों को ललचाता कौन। उगता सूरज ढलना ही है, इसकी याद दिलाता कौन..! #NH✍️ #poem