रिवाजों की बेड़ियों में जकड़े हम जहाँ थे वहीं रह गए जो इन बेड़ियों को तोड़ सके वो बहुत आगे निकल गए मुनासिब न था हमारे लिए इनको तोड़ कर निकल पाना हम उन मूल्यों की खातिर जिए जिससे वो मुंह मोड़ गए कोशिश की जब कुछ करने की दिल ने साथ न दिया हम इन बेड़ियों के चंगुल में यूँ ही फंसते चले गए रिवाजों की बेड़ियों में बंधे हुए हैं लोग अभी... #रिवाजोंकीबेड़ियाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi