साँसों का साँसों से मिलना, इतना भी अब खास नहीं। रूह का मिलन हो जाए गर, ऐसा कोई एहसास नहीं। दिल, धड़कन, साँसों का चलना, तुझसे ही जारी है। बता नहीं सकता तुझे मैं, तू कितनी मुझको प्यारी है। तेरी सूरत आँखों से ओझल हो, ऐसी कोई बात नहीं। रूह का मिलन हो जाए गर, ऐसा कोई एहसास नहीं। मैं तुझसे बेरुखी करके, आख़िर अब कहाँ जाऊँगा। कोई नहीं मेरा तेरे सिवाय, मैं तेरे पास ही आऊँगा। हम दोनों में कोई दूरी हो, ऐसी कोई वजह खास नहीं। रूह का मिलन हो जाए गर, ऐसा कोई एहसास नहीं। ♥️ Challenge-623 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।