किसी मोड़ पे बनकर कोई हादसा मिल जाये उस शख़्स से शायद कोई मेरा वास्ता मिल जाये ज़ख्म,दर्द,आँसू अक़्सर मेरी तलाश में रहते हैं मुमकिन भी नहीं इनमें से कोई बेवफ़ा मिल जाये वो मुतमइन है कि मैं हँस भी अब नहीं सकता मैं मुंतज़िर हूँ कि कोई ज़ख्म नया मिल जाये मुमकिन नहीँ तलाश पूरी हो ज़िन्दगी की तू ही ऐ मौत क्यों न एक दफ़ा मिल जाये!! #ये_ज़िन्दगी