कुछ अंश कविता #मैं_आवारा के आवारा सा मैं लड़का हूं, जो भाता है वो करता हूं। मोहब्बत जैसे नाजुक , जज्बातों से दूर रहता हूं।। नशा मुझको अलग कुछ है, उसी में चूर रहता हूँ। न दरिया मुझको तुम समझो, हूं सागर शांत रहता हूं।। #मेरीकविताएँ #मैआवारा