फिरता हूँ में आवारा तेरी चाहत से मात होकर ' रात नही चाहत मेरी में चाँद जो हासिल नही ! तू लखीर हे - पाषाण पर जो कभी मिटती नही ख्याल मेरे मे ' तू हसिन राहत मेरी मे ' तू महीन खोया हे दिल तो ओर सब पा लिया इश्क रब से मिला खेरात का हिस्सा नही ये इश्क खुदा की रज़ा का किस्सा हे #ishq फिरता हूँ में #आवारा तेरी चाहत से #मात होकर ' रात नही चाहत मेरी में चाँद जो #हासिल नही ! तू #लखीर हे -