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फिरता हूँ में आवारा तेरी चाहत से मात होकर ' रात न

फिरता हूँ में आवारा 
तेरी चाहत से मात होकर '
रात नही चाहत मेरी में 
चाँद जो हासिल नही !
तू लखीर हे -
 पाषाण पर जो कभी मिटती नही
ख्याल मेरे मे ' तू हसिन
 राहत मेरी मे ' तू महीन 
खोया हे दिल तो ओर सब पा  लिया 
इश्क रब से मिला खेरात का हिस्सा नही
ये इश्क खुदा की रज़ा का किस्सा हे #ishq


फिरता हूँ में #आवारा 
तेरी चाहत से #मात होकर '
रात नही चाहत मेरी में 
चाँद जो #हासिल नही !
तू #लखीर हे -
फिरता हूँ में आवारा 
तेरी चाहत से मात होकर '
रात नही चाहत मेरी में 
चाँद जो हासिल नही !
तू लखीर हे -
 पाषाण पर जो कभी मिटती नही
ख्याल मेरे मे ' तू हसिन
 राहत मेरी मे ' तू महीन 
खोया हे दिल तो ओर सब पा  लिया 
इश्क रब से मिला खेरात का हिस्सा नही
ये इश्क खुदा की रज़ा का किस्सा हे #ishq


फिरता हूँ में #आवारा 
तेरी चाहत से #मात होकर '
रात नही चाहत मेरी में 
चाँद जो #हासिल नही !
तू #लखीर हे -

#ishq फिरता हूँ में #आवारा तेरी चाहत से #मात होकर ' रात नही चाहत मेरी में चाँद जो #हासिल नही ! तू #लखीर हे - #ख्याल #रज़ा #महीन #पाषाण #मिटती