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मन्दिर के दीये जैसी हैं याद तुम्हारी, बुझाना भी चा

 मन्दिर के दीये जैसी हैं याद तुम्हारी,
बुझाना भी चाहूँ तो लोग फिर से जला देते है..!!
 मन्दिर के दीये जैसी हैं याद तुम्हारी,
बुझाना भी चाहूँ तो लोग फिर से जला देते है..!!
bantimishra4145

Banti Mishra

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