दिन तो ढ़ल गया अब लो चांद पिघल रहा फसाना रात का ना संभल रहा ये फलक ज़मीन से जो मिल रहा आंखों के रास्ते शहद दिल में घुल रहा तेरे आंखों के आईने में मैं खुद को देख रहा दिन तो ढल गया, अब लो चांद भी है पिघल रहा दिन तो ढल गया अब लो चांद पिघल रहा फसाना रात का ना संभल रहा ये फलक ज़मीन से जो मिल रहा आंखों के रास्ते शहद दिल में घुल रहा तेरे आंखों के आईने में मैं खुद को देख रहा दिन तो ढल गया, अब लो चांद भी है पिघल रहा