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काश मेरा हक चलता इस कुदरत पर, तुझे खुद से कभी जुदा

काश मेरा हक चलता इस कुदरत पर,
तुझे खुद से कभी जुदा न होने देती।

लड़ जाती पूरी कायनात से, एक तुझे पाने की खातिर,
अपना सब कुछ लुटा देती मैं।। 

माना की बिछड़ना कुदरत का नियम है,
मगर बस चलता तो उस नियम को भी बदल देती मैं।।।

©Heer #Leave  sad poetry
काश मेरा हक चलता इस कुदरत पर,
तुझे खुद से कभी जुदा न होने देती।

लड़ जाती पूरी कायनात से, एक तुझे पाने की खातिर,
अपना सब कुछ लुटा देती मैं।। 

माना की बिछड़ना कुदरत का नियम है,
मगर बस चलता तो उस नियम को भी बदल देती मैं।।।

©Heer #Leave  sad poetry
heertrivedi5954

Heer

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