तेरे इश्क मे हाल क्या मेरा है हर वक्त ख्लाल बस तेरा है तू शाम है ,मेरी तुझसे ही सबेरा है दिल ए जान सब तेरा है फिर हम पर ही क्योॽ तेरी नफरत का बसेरा है , मेरे इश्क कि तो मंजिल हो तुम , बिना तेरे कही नजर न है हम आंखो से तो अश्क भी बहने लगे बहते अश्क तेरे दीदार की कहने लगे हम तेरे इश्क मे इस कदर रहने लगे, दीवाना सब कहने लगे अजीब मेरे इश्क की दास्ताँ है कि अब दुश्मन भी दुआये देने लगे, तेरे इश्क मे हम जब से बहने लगे, सारे गमो को मुस्कुरा कर सहने लगे तेरे इश्क मे,