रेत के महल खड़े कर चाँद सितारों की दुनिया में ले चलना मुझे नहीं आता मुट्टू।मेरे ज़िस्म की परछाई भी घड़ी घड़ी बदलती है।विचारों का तूफ़ान दिमाग़ के कोने कोने को झकझोर दिया करता है।ख़ुद से लेकर दुनियादारी की सोचता हूँ और फ़िर आकर तुम पर अटक जाता हूँ।मुझे एहसास होता है कि तुमने आकर ही पतझड़ में फूल खिलाए हैं।मेरे मन को पंख लगाए हैं।सपनों को आसमान दिया है।ख़्वाहिशों को पनाह देकर महत्वकांक्षाओं को उन्नत किया है।मैं तुमसे अलग कुछ देख नहीं पाता।मेरी दृष्टि की गहराई तुम हो।ऐसा लगता है कि मैं तुम बिन कुछ नहीं। ♥️ Challenge-747 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।