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अनुशीर्षक में पढ़े 👇👇👇 #पहलास्कूल#yqdidi #c

अनुशीर्षक में पढ़े 
   👇👇👇 #पहलास्कूल#yqdidi #collab
 मेरा पहला स्कूल नर्मदा जी के किनारे मंदिर के सामने एक जर्जर इमारत था,जो पहले अस्पताल हुआ करता था। स्कूल पांचवी तक और शिक्षक वो सिर्फ दो,अभी जब शिक्षक दिवस आया था, तो मुझे वो ही दोनों याद आये और वो तो इतना याद आते है जैसे प्रेमी को प्रेमिका। पहले जब स्कूल मे थे तब लगता था हमारे मारसाब कितने अच्छे है (मारसाब हमारे यहाँ शिक्षक को कहते है) चाहे पढ़ो या मत पढ़ो कुछ नही बोलते,छूट तो यहा तक थी कि किसी को भी माँ बहन कि गाली भी दे सकते थे,बस मारसाब को छोड़कर। प्रार्थना भी साल भर में बस दो बार होती थी 26 जनवरी और 15 अगस्त पर क्यूकि रोज प्रार्थना के चक्कर मे जल्दी क्यू आये स्कूल चाबिया मुझे थमा दी गई थी क्यूकि मे रोज स्कूल जाता था, खुद ताला खोलो फिर झाड़ू लगाओ,पट्टी बिछाओ जिन्हें हम चारपट्टी कहते थे पता नही था कि टाट पट्टी होती हैं। और जब कभी एकाध महीने मे हाजिरी लेने का मुहूर्त निकलता तो हम इत्ता प्यार से एक सर कहते थे और आपस मे बात करते थे हम एक सर क्यो बोलते है जबकि हमारे तो दो सर हैं, लेकिन वो कभी सही बताने कि ज़हमत नही उठाते थे।हमारे स्कूल का पेशाबखाना एक चौराहा और नर्मदा जी के पास बना नाला हुआ करता था और जब मारसाब से पूछना होता जाने का वो शब्द खुद अपने आप में किसी गाली से कम नही लगते इसलिए उन्हें नही लिख रहा। पानी के लिए सीधा नर्मदा माई कि शरण में ही जाना पड़ता था और एक बार आप चले गये तो सीधा छुट्टी के समय पर भी आ सकते कोई समस्या नहीं, क्यूकि मारसाब या तो दारू पीकर सोये होगे या पड़ोस वाली औरत के साथ बात करते होगे। ये महान शिक्षक हमे आरक्षण रूपी भगवान द्वारा मिले थे। दोनों मारसाब को पता चल गया तो मुझे भी #SCSTact मे जेल करा देंगे। 
धन्यवाद
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 मेरा पहला स्कूल नर्मदा जी के किनारे मंदिर के सामने एक जर्जर इमारत था,जो पहले अस्पताल हुआ करता था। स्कूल पांचवी तक और शिक्षक वो सिर्फ दो,अभी जब शिक्षक दिवस आया था, तो मुझे वो ही दोनों याद आये और वो तो इतना याद आते है जैसे प्रेमी को प्रेमिका। पहले जब स्कूल मे थे तब लगता था हमारे मारसाब कितने अच्छे है (मारसाब हमारे यहाँ शिक्षक को कहते है) चाहे पढ़ो या मत पढ़ो कुछ नही बोलते,छूट तो यहा तक थी कि किसी को भी माँ बहन कि गाली भी दे सकते थे,बस मारसाब को छोड़कर। प्रार्थना भी साल भर में बस दो बार होती थी 26 जनवरी और 15 अगस्त पर क्यूकि रोज प्रार्थना के चक्कर मे जल्दी क्यू आये स्कूल चाबिया मुझे थमा दी गई थी क्यूकि मे रोज स्कूल जाता था, खुद ताला खोलो फिर झाड़ू लगाओ,पट्टी बिछाओ जिन्हें हम चारपट्टी कहते थे पता नही था कि टाट पट्टी होती हैं। और जब कभी एकाध महीने मे हाजिरी लेने का मुहूर्त निकलता तो हम इत्ता प्यार से एक सर कहते थे और आपस मे बात करते थे हम एक सर क्यो बोलते है जबकि हमारे तो दो सर हैं, लेकिन वो कभी सही बताने कि ज़हमत नही उठाते थे।हमारे स्कूल का पेशाबखाना एक चौराहा और नर्मदा जी के पास बना नाला हुआ करता था और जब मारसाब से पूछना होता जाने का वो शब्द खुद अपने आप में किसी गाली से कम नही लगते इसलिए उन्हें नही लिख रहा। पानी के लिए सीधा नर्मदा माई कि शरण में ही जाना पड़ता था और एक बार आप चले गये तो सीधा छुट्टी के समय पर भी आ सकते कोई समस्या नहीं, क्यूकि मारसाब या तो दारू पीकर सोये होगे या पड़ोस वाली औरत के साथ बात करते होगे। ये महान शिक्षक हमे आरक्षण रूपी भगवान द्वारा मिले थे। दोनों मारसाब को पता चल गया तो मुझे भी #SCSTact मे जेल करा देंगे। 
धन्यवाद

#पहलास्कूल#yqdidi #Collab मेरा पहला स्कूल नर्मदा जी के किनारे मंदिर के सामने एक जर्जर इमारत था,जो पहले अस्पताल हुआ करता था। स्कूल पांचवी तक और शिक्षक वो सिर्फ दो,अभी जब शिक्षक दिवस आया था, तो मुझे वो ही दोनों याद आये और वो तो इतना याद आते है जैसे प्रेमी को प्रेमिका। पहले जब स्कूल मे थे तब लगता था हमारे मारसाब कितने अच्छे है (मारसाब हमारे यहाँ शिक्षक को कहते है) चाहे पढ़ो या मत पढ़ो कुछ नही बोलते,छूट तो यहा तक थी कि किसी को भी माँ बहन कि गाली भी दे सकते थे,बस मारसाब को छोड़कर। प्रार्थना भी साल भर में बस दो बार होती थी 26 जनवरी और 15 अगस्त पर क्यूकि रोज प्रार्थना के चक्कर मे जल्दी क्यू आये स्कूल चाबिया मुझे थमा दी गई थी क्यूकि मे रोज स्कूल जाता था, खुद ताला खोलो फिर झाड़ू लगाओ,पट्टी बिछाओ जिन्हें हम चारपट्टी कहते थे पता नही था कि टाट पट्टी होती हैं। और जब कभी एकाध महीने मे हाजिरी लेने का मुहूर्त निकलता तो हम इत्ता प्यार से एक सर कहते थे और आपस मे बात करते थे हम एक सर क्यो बोलते है जबकि हमारे तो दो सर हैं, लेकिन वो कभी सही बताने कि ज़हमत नही उठाते थे।हमारे स्कूल का पेशाबखाना एक चौराहा और नर्मदा जी के पास बना नाला हुआ करता था और जब मारसाब से पूछना होता जाने का वो शब्द खुद अपने आप में किसी गाली से कम नही लगते इसलिए उन्हें नही लिख रहा। पानी के लिए सीधा नर्मदा माई कि शरण में ही जाना पड़ता था और एक बार आप चले गये तो सीधा छुट्टी के समय पर भी आ सकते कोई समस्या नहीं, क्यूकि मारसाब या तो दारू पीकर सोये होगे या पड़ोस वाली औरत के साथ बात करते होगे। ये महान शिक्षक हमे आरक्षण रूपी भगवान द्वारा मिले थे। दोनों मारसाब को पता चल गया तो मुझे भी #scstact मे जेल करा देंगे। धन्यवाद