ऐ बाद ए शबा तू मेरे लीये इतनी सी जशारत करदे ना मेरे गुलिश्ता मेरे चमन को फिर से शगुफ्ता करदे ना ये दोर खिजा का ये पतझड़ और बिखरी सदाये कहती ह तू मेरे चमन की जानिब भी सावन की हवाये करदे ना अमजद निगार # #