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किसी एकाकी मन में बज उठा हो जैसे चंचल कोई सांध्यग

किसी एकाकी मन में बज उठा हो 
जैसे चंचल कोई सांध्यगीत मधुरिम
जाड़े की गुलाबी धूप में
चुपचाप कोई गुलाब खिल आना
घिरते कुहासे में गुलाबी धूप सी गुनगुन
मन के आँगन में मनमीत का आना
ख़ुशबू सा लहज़ा वो 
नहीं आसान बतलाना
शाखों पे नए कोंपल का
जीवन गीत दोहराना...
दोस्त! फिर आँखों में भर संसार ले आना




 #toyou #yqfriends #yqlove #yqblossoms #yqmusic #yqblessings
किसी एकाकी मन में बज उठा हो 
जैसे चंचल कोई सांध्यगीत मधुरिम
जाड़े की गुलाबी धूप में
चुपचाप कोई गुलाब खिल आना
घिरते कुहासे में गुलाबी धूप सी गुनगुन
मन के आँगन में मनमीत का आना
ख़ुशबू सा लहज़ा वो 
नहीं आसान बतलाना
शाखों पे नए कोंपल का
जीवन गीत दोहराना...
दोस्त! फिर आँखों में भर संसार ले आना




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