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बड़ा अजीब लगता है जब तुम, मेरी आखो से ओझल हो जाती

बड़ा अजीब लगता है जब तुम,
मेरी आखो से ओझल हो जाती हो..!
बड़ा अजीब लगता है जब तुम,
मेरे करीब नही आती हो..!
ना जाने कहां चली जती हो,
 नजर भी नही आती हो
मै बेचैन रहता हु तुम्हारे बिन
ना भूख लगे,ना नीद आये
समझ नही आता मुझे उस समय
हम जाये तो किधर जाये
एक सुखे पत्ते कि तरह
एक पक्षी के पंख कि तरह
हवा मे तुम गुम हो जाती हो
कही दूर उदड़ के चली जाती हो..!!

©Shreehari Adhikari369 ना जाने कहां चली जाती हो..!!

#AWritersStory
बड़ा अजीब लगता है जब तुम,
मेरी आखो से ओझल हो जाती हो..!
बड़ा अजीब लगता है जब तुम,
मेरे करीब नही आती हो..!
ना जाने कहां चली जती हो,
 नजर भी नही आती हो
मै बेचैन रहता हु तुम्हारे बिन
ना भूख लगे,ना नीद आये
समझ नही आता मुझे उस समय
हम जाये तो किधर जाये
एक सुखे पत्ते कि तरह
एक पक्षी के पंख कि तरह
हवा मे तुम गुम हो जाती हो
कही दूर उदड़ के चली जाती हो..!!

©Shreehari Adhikari369 ना जाने कहां चली जाती हो..!!

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