भोर का पंछी ऊंचे गगन में पंख अपने बेफिक्री से फैलाओ खुली हवा मस्त गगन में भोर के पंछी तुम बन जाओ ना कोई रोक टोक ना जाती मजहब के बात बनाओ सीमाओं को पार कर दुश्मनों में भी प्रेम का अलख जगाओ पुरवाई चंचल ठंडी ठंडी इसकी धुन में मस्त मगन लहराओ अपनी चहचहाट से हमारे दिलों को भी तुम हरशाओ। #Panchi #nojoto hindi