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गुल हुआ ये किस की हस्ती का चराग़ मुद्दई के घर जला

गुल हुआ ये किस की हस्ती का चराग़
मुद्दई के घर जला घी का चराग़

ख़ैर से रहता है रौशन नाम-ए-नेक
हश्र तक जलता है नेकी का चराग़

वो हक़ीक़त है दिल-ए-अफ़सुर्दा की
टिमटिमाए जैसे सर्दी का चराग़

हम से रौशन है तुम्हारी बज़्म यूँ
नागवारा जैसे गर्मी का चराग़

हो क़नाअ'त तुझ को तो बस है 'ज़हीर'
ख़ाना-आराई को दमड़ी का चराग़

©Jashvant
  Charag
jashvant2251

Jashvant

Bronze Star
New Creator

Charag #Life

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