मुराद थी मेरी कि तुम खुशियों से आँचल भरोगे, आँसू पीकर मुस्कानों से तुम होंठों को ढाँपोगे, अफ़सोस!वाक़िफ़ नहीं थी तुम्हारी बदनीयती से कि यों दगा देकर तुम मेरा ही चमन लूटोगे!! #मुराद#पुरानी डायरी के पन्नों से#21.9.82