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हर दिन उसी अदालत में पेशी होती है जहाँ कोई इन्साफ

हर दिन उसी अदालत में पेशी होती है जहाँ कोई इन्साफ नही होता
कटहरे में खड़ा इंसान मुजरिम नही होता
और जो गीता पर हाथ रखवाता है वो खुद बे - गुनहा नही होता मुजरिम###
हर दिन उसी अदालत में पेशी होती है जहाँ कोई इन्साफ नही होता
कटहरे में खड़ा इंसान मुजरिम नही होता
और जो गीता पर हाथ रखवाता है वो खुद बे - गुनहा नही होता मुजरिम###
rekhathakur2279

Rekha thakur

New Creator

मुजरिम###