हर दिन उसी अदालत में पेशी होती है जहाँ कोई इन्साफ नही होता कटहरे में खड़ा इंसान मुजरिम नही होता और जो गीता पर हाथ रखवाता है वो खुद बे - गुनहा नही होता मुजरिम###