ख्वाबों की कुछ ताबीर लिख रहा हूँ मैं धीरे-धीरे अल्फाजो को एक दूसरे से जोड़ रहा हूँ मैं धीरे-धीरे ख्वाब में तुम क्यूँ चली आती हो बिन बताये मुझे तुझसे हर दिन रूबरू मिलना चाहता हूँ मैं धीरे-धीरे क्या कमी रह गयी थी हमारे तुम्हारे दरमियां में फिर से तुमसे मुहब्बत करना चाहता हूँ मैं धीरे-धीरे मंजिल हैं ख्वाबों का टूटा-फूटा इस तरह से आरिफ तन्हाई में अपना बनाना चाहता हूँ मैं धीरे-धीरे #NojotoQuote ख्वाबों की कुछ ताबीर लिख रहा हूँ मैं धीरे-धीरे अल्फाजो को एक दूसरे से जोड़ रहा हूँ मैं धीरे-धीरे ख्वाब में तुम क्यूँ चली आती हो बिन बताये मुझे तुझसे हर दिन रूबरू मिलना चाहता हूँ मैं धीरे-धीरे क्या कमी रह गयी थी हमारे तुम्हारे दरमियां में फिर से तुमसे मुहब्बत करना चाहता हूँ मैं धीरे-धीरे