सब उसी के तरफ़दार लगते हैं, तेरे जाने पर पूरी-पूरी रात जगते हैं। चाँद भी छुप जाता है, तारे भी कहीं खो जाते हैं, यूँ ही नहीं हम तेरे हो जाते हैं। बारिश, बादल और तुम सबने मिलके रचाया है, क्यूं मौसन का मज़ाक बनाया है, आ जाते हो बेकशी में सुराही लेकर, कुछ कह दो... क्यूं चले गए परछाई देकर। आज भी बारिश नहीं हुई।