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कोई नहीं शहर में, बिन तेरे मुझको लगता दो बोल मीठे

कोई नहीं शहर में, बिन तेरे मुझको लगता
दो बोल मीठे सुनने, को कान है तरसता
चुपचाप मैं पड़ा, तुझे सोचता प्रतिपल 2
और मन ही मन अपने, तक़दीर पे बरसता

©प्रभात शर्मा
  #Hopeless