पिता! इज़हार करता,एहसास इबादत का मैं भी जताता गर तेरी बन्दगी का कोई माक़ूल तरीक़ा ढूँढ़ पाता काबे का क्या करूँ? काशी से मुझे क्या काम? बड़ी बन्दगी होती गर मैं तेरे साथ हँसता, तुझे हँसाता # पिता! काश तेरी बन्दगी का तरीक़ा ढूँढ़ पाता