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भीड़ बाद गई है यादों की सांसों से कह दो साफ कर दो

भीड़ बाद गई है यादों की
सांसों से कह दो साफ कर दो
मेरा नहीं दोष है दिमाग का
ऐसी गलतियों को माफ कर दो
जहां पसरा है आलम गरीबी का
ऐसे मकानों को सराफ कर दो
जिनमें पैर पूरे फैलते नहीं
ऐसे कपड़ों को लिहाफ कर दो
दस्तरखान नीचे ही दबा रहता है
बना के दस्तार सियासत के खिलाफ कर दो

Dr KR Prbodh #kahani yaado ki
भीड़ बाद गई है यादों की
सांसों से कह दो साफ कर दो
मेरा नहीं दोष है दिमाग का
ऐसी गलतियों को माफ कर दो
जहां पसरा है आलम गरीबी का
ऐसे मकानों को सराफ कर दो
जिनमें पैर पूरे फैलते नहीं
ऐसे कपड़ों को लिहाफ कर दो
दस्तरखान नीचे ही दबा रहता है
बना के दस्तार सियासत के खिलाफ कर दो

Dr KR Prbodh #kahani yaado ki
krprbodh2397

K R Prbodh

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