इस चार दिवारी के कमरे में ढूंढ रहा सुकुन मैं , हौ

इस चार दिवारी के कमरे में 
ढूंढ रहा सुकुन मैं ,
हौसले, लक्ष्य और सपने लिए ,
भीड़ भाड़ वाले शहर में मैं,
घूम रहा बेरोजगार की तरह ,
आखिर कब होगी मेरी तलाश खत्म,
सपनो को पूरा करने की होड़ में ,
अपने माता पिता को छोड़,
उनके सपनों को पूरा करने में लगा मैं ।।

IG:-words_with_heart_

©Harish Labana
  इस चार दिवारी के कमरे में ।।
#Civilians #exam #unemployment #like #share #poetry
play

इस चार दिवारी के कमरे में ।। #Civilians #exam #unemployment #Like #share poetry #कविता

171 Views