आवारा आज सूनापन हमें झकझोंरता हैं, और ज़माना मुंह भी हमसे मोड़ता है। हम भी हैं मां भारती के पुत्र ,वीरों !, क्यों ज़माना रिश्तें हमसे तोड़ता है।। हां ! हम भी मगर हैं स्वाभिमानी , ना अभी हैं हार मानी। मां हमारे साथ में है, जीत की है ये निशानी।। तुम कहते हो!! हां! सच है , कि हम आवारा हैं, पर अपनी मां की आंखों के हम तारा हैं।। कभी नहीं हम ये सब कहते, पर मन में एक व्यथा है। हम सबके दु:खों की भी, लम्बी एक कथा है।। कोई शिकवा नहीं किसी से, बस एक अरमान ज़िन्दा है। हमारे दिल में भी तो, एक हिन्दुस्तान ज़िन्दा है।। रात दिन सपने बुनती, मेरी मां थकतीं नहीं है। हमारे रहने को इस देश में, एक बस्ती नहीं है।। तुम महलों में सोते हो, हम खुलें गगन में सोते हैं। बचपन अपना हम खों देते, और बिन आंसू के रोते हैं।। जब भूख प्यास लगती है , तो अपने आंसू पी लेते हैं। शायद कल अच्छा होगा, ये सोच कर हम जी लेते हैं।। कल को तो छोड़ों !! अब तो अच्छा सपना भी नहीं आता, हमसे बात करने कोई अपना नहीं आता।। आज सूनापन हमें झकझोंरता हैं, और ज़माना मुंह भी हमसे मोड़ता है। हम भी हैं मां भारती के पुत्र ,वीरों !, क्यों ज़माना रिश्तें हमसे तोड़ता है।। हां ! हम भी मगर हैं स्वाभिमानी , ना अभी हैं हार मानी। मां हमारे साथ में है,