मोहब्बत के सफर में जो कभी अनजान बनते थे इशारों ही इशारों में बहुत नादान बनते थे उन्हें कह दो बहारे इश्क की फिर आने वाली हैं झुकी चिलमन से जिनका वो कभी दीदार करते थे मोहब्बत के सफर में.....